Gurudev RamLal ji Siyag Meditation
Method of Meditation=
1- sit in a comfortable position.
2-You can sit cross-legged on the floor, lie down, sit on a chair / couch etc., to meditate.
3-Look at Guru Siyag's picture for a minute or two until you remember the image.
4-Then close your eyes and say silently to Guru Siyag, "Help me meditate for 15 minutes." You can choose a time-limit according to your convenience, for eg., 5 / 10 /12 /… minutes
5-Then, with your eyes still closed, think of Guru Siyag's image at the place between your eyebrows (also known as the third eye). This means that you have to try to imagine Guru Siyag's picture in your mind.
6-While thinking of the image, repeat silently (Chant) for 15 minutes the mantra given by Guru Siyag.
7-During meditation, you may experience certain automatic yogic postures or movement of your limbs. Swaying, nodding of head, rapid movement of head from left-to-right or vice versa, inflating or deflating of belly, clapping, grunting, moaning or laughing can happen in many cases. Do not panic or worry. These actions, happen involuntarily, are ordained by divine force, and they are needed for your internal cleansing and readying you for further progress.
8-You may also experience vibrations, see bright lights, colors or even have visions or revelations of the past and future events. These are indications that you are progressing well on the spiritual path.
9-However, if you do not experience any yogic postures or see visions, it does not mean that are not making progress. In all probability, the divine force awakened in you has perhaps decided that you don't need these experiences.
10-You will notice that your meditation will come to an end exactly when you reach the time limit you had set prior to starting meditation.
in HINDI=
1-सर्वप्रथम आरामदायक स्थिति में किसी भी दिशा की ओर मुँह करके बैठें
2-दो मिनट तक सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को खुली आँखों से ध्यानपूर्वक देखे
3-यदि आप किसी बीमारी, नशे या अन्य परेशानी से पीडत हैं, तो गुरुदेव से, उससे, मुक्ति दिलाने हेतु अन्तर्मन से करुण पुकार करें
4-मन ही मन १५ मिनट के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें
5-उसके बाद आंखें बन्द करके आज्ञा चक्र (भोंहों के बीच) जह बिन्दी या तिलक लगाते हैं, वहाँ पर गुरुदेव के चित्र का स्मरण करें
6-इस दौरान मन ही मन गुरुदेव द्वारा दिए गए मंत्र का मानसिक जाप बिना जीभ या होठ हिलाये करें
7-ध्यान के दौरान शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड दें, आँखें बन्द रखें, चित्र ध्यान में आये या न आये उसकी चिन्ता न करें। मन में आने वाले विचारों की चिन्ता न करते हुए मानसिक जाप करते रहें
8-ध्यान के दौरान कम्पन, झुकने, लेटने, रोने, हंसने, तेज रोशनी या रंग दिखाई देने या अन्य कोई आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम की स्थिति बन सकती है, इससे घबरायें नहीं, इन्हें रोकने का प्रयास न करें। यह मातृशक्ति कुण्डलिनी शारीरिक रोगों को ठीक करने के लिये करवाती है
9-समय पूरा होने के बाद आप ध्यान की स्थिति से सामान्य स्थिति में आ जायेंगे
10-योगिक क्रियायें या अनुभूतियां न होने पर भी इसे बन्द न करें। रोजाना सुबह-शाम ध्यान करने से कुछ ही दिन बाद अनुभूतियां होना प्रारम्भ हो जायेंगी
11-ध्यान करते समय मंत्र का मानसिक जाप करें तथा जब ध्यान न कर रहे हों तब भी खाते-पीते, उठते-बैठते, नहाते धोते, पढते-लिखते, कार्यालय आते जाते, गाडी चलाते अर्थात हर समय ज्यादा से ज्यादा उस मंत्र का मानसिक जाप करें। दैनिक अभ्यास में १५-१५ मिनट का ध्यान सुबह-शाम करना चाहिये।
to find the MANTRA go:-http://www.the-comforter.org
my email edd:-ajayrockss@rediffmail.com
contact no.- +919166247927
1- sit in a comfortable position.
2-You can sit cross-legged on the floor, lie down, sit on a chair / couch etc., to meditate.
3-Look at Guru Siyag's picture for a minute or two until you remember the image.
4-Then close your eyes and say silently to Guru Siyag, "Help me meditate for 15 minutes." You can choose a time-limit according to your convenience, for eg., 5 / 10 /12 /… minutes
5-Then, with your eyes still closed, think of Guru Siyag's image at the place between your eyebrows (also known as the third eye). This means that you have to try to imagine Guru Siyag's picture in your mind.
6-While thinking of the image, repeat silently (Chant) for 15 minutes the mantra given by Guru Siyag.
7-During meditation, you may experience certain automatic yogic postures or movement of your limbs. Swaying, nodding of head, rapid movement of head from left-to-right or vice versa, inflating or deflating of belly, clapping, grunting, moaning or laughing can happen in many cases. Do not panic or worry. These actions, happen involuntarily, are ordained by divine force, and they are needed for your internal cleansing and readying you for further progress.
8-You may also experience vibrations, see bright lights, colors or even have visions or revelations of the past and future events. These are indications that you are progressing well on the spiritual path.
9-However, if you do not experience any yogic postures or see visions, it does not mean that are not making progress. In all probability, the divine force awakened in you has perhaps decided that you don't need these experiences.
10-You will notice that your meditation will come to an end exactly when you reach the time limit you had set prior to starting meditation.
in HINDI=
1-सर्वप्रथम आरामदायक स्थिति में किसी भी दिशा की ओर मुँह करके बैठें
2-दो मिनट तक सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को खुली आँखों से ध्यानपूर्वक देखे
3-यदि आप किसी बीमारी, नशे या अन्य परेशानी से पीडत हैं, तो गुरुदेव से, उससे, मुक्ति दिलाने हेतु अन्तर्मन से करुण पुकार करें
4-मन ही मन १५ मिनट के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें
5-उसके बाद आंखें बन्द करके आज्ञा चक्र (भोंहों के बीच) जह बिन्दी या तिलक लगाते हैं, वहाँ पर गुरुदेव के चित्र का स्मरण करें
6-इस दौरान मन ही मन गुरुदेव द्वारा दिए गए मंत्र का मानसिक जाप बिना जीभ या होठ हिलाये करें
7-ध्यान के दौरान शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड दें, आँखें बन्द रखें, चित्र ध्यान में आये या न आये उसकी चिन्ता न करें। मन में आने वाले विचारों की चिन्ता न करते हुए मानसिक जाप करते रहें
8-ध्यान के दौरान कम्पन, झुकने, लेटने, रोने, हंसने, तेज रोशनी या रंग दिखाई देने या अन्य कोई आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम की स्थिति बन सकती है, इससे घबरायें नहीं, इन्हें रोकने का प्रयास न करें। यह मातृशक्ति कुण्डलिनी शारीरिक रोगों को ठीक करने के लिये करवाती है
9-समय पूरा होने के बाद आप ध्यान की स्थिति से सामान्य स्थिति में आ जायेंगे
10-योगिक क्रियायें या अनुभूतियां न होने पर भी इसे बन्द न करें। रोजाना सुबह-शाम ध्यान करने से कुछ ही दिन बाद अनुभूतियां होना प्रारम्भ हो जायेंगी
11-ध्यान करते समय मंत्र का मानसिक जाप करें तथा जब ध्यान न कर रहे हों तब भी खाते-पीते, उठते-बैठते, नहाते धोते, पढते-लिखते, कार्यालय आते जाते, गाडी चलाते अर्थात हर समय ज्यादा से ज्यादा उस मंत्र का मानसिक जाप करें। दैनिक अभ्यास में १५-१५ मिनट का ध्यान सुबह-शाम करना चाहिये।
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